फैट यानी वसा के बारे ये जानकारी है काम की

फैट यानी वसा के बारे ये जानकारी है काम की

डॉक्‍टर अनूप मिश्रा

शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए कम मात्रा में फैट या वसा (जरूरी फैटी एसिड) की जरूरत होती है। इस फैट (दिखाई देने वाले जैसे कि तेल, घी, मक्‍खन आदि और न दिखाई देने वाले जैसे कि अनाज और दालें आदि) की मात्रा हमारे रोज के एनर्जी में 30 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। एक ग्राम फैट 9 कैलरी के बराबर होता है। इसलिए डायबिटीज के जिस मरीज को 1200 कैलरी वाला भोजन रोज लेने की सलाह दी गई हो तो उसमें फैट की मात्रा करीब 400 कैलरी यानी 45 ग्राम होनी चाहिए। ये कैलरी शरीर में जमा होते हैं और इनका बाद में संचित एनर्जी के रूप में इस्‍तेमाल हो सकता है। शरीर में पहुंचे ऐसे कार्ब और फैट जो कि शरीर की जरूरत से अधिक हों, उनके द्वारा निर्मित ग्‍लूकोज शरीर की वसा कोशिकाओं में ट्राइग्‍ल‍िसराइड्स के रूप में जमा हो जाता है।

सेचुरेटेड फैट:

ये फैट का वो प्रकार है जो आमतौर पर जानवरों से प्राप्‍त होता है। सेचुरेटेड फैट शरीर की कोशिकाओं के मेंम्‍ब्रेंस को कड़ा बना देते हैं, कोलेस्‍ट्रोल और रक्‍तचाप का स्‍तर बढ़ा देते हैं और ये टाइप 2 डायबिटीज और कोरोनरी हार्ट डिजीज विकसित करने में भूमिका निभाते हैं। ज्‍यादा सेचुरेटेड फैट खाने से मोटापा और कोलस्‍ट्रोल का स्‍तर बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए मांस और डेयरी उत्‍पाद जैसे कि मक्‍खन सेचुरेटेड फैट के मुख्‍य स्रोत हैं और इसलिए इनसे परहेज करना चाहिए।

अनसेचुरेटेड फैट:

अनसेचुरेटेड फैट की श्रेणियां

ट्रांस फैट

कुछ फैट शरीर के लिए बहुत ही बुरे होते हैं। ट्रांस फैट्स जो कि वनस्‍पति जैसे तेल में तले हुए भोजन (फ्रेंच फ्राइज आदि) और व्‍यावसायिक रूप से बेक किए हुए भोजनों से प्राप्‍त होते हैं अपनी प्रकृति में सेचुरेटेड फैट के ही समान होते हैं और इनके सेवन से कोलेस्‍ट्रोल, उच्‍च रक्‍तचाप और ब्‍लड ग्‍लूकोज के नियंत्रण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। एक ही तेल को बार-बार गर्म करके उसका इस्‍तेमाल करने से ट्रांस फैट पैदा होता है। इसलिए एक ही तेल को दोबारा इस्‍तेमाल करने से परहेज करना चाहिए।

मोनोअनसेचुरेटेड फैट

मोनोअनसेचुरेटेड फैट संभवत: सभी फैट में सबसे अच्‍छे होते हैं। जैतून यानी ओलिव, राई यानी कैनोला और सरसों के तेल इनका सबसे अच्‍छा स्रोत होते हैं। बादाम, पिश्‍ता, जैतून और मूंगफली आदि में सबसे अधिक मोनोअनसेचुरेटेड फैट मिलते हैं।

पॉलीअनसेचुरेटेड फैट

पॉलीअनसेचुरेटेड फैट में ओमेगा 3 (एन-3 फैटी एसिड) और ओमेगा-6 फैट्स (एन-6 फैटी एस‍िड) शामिल हैं जो कि कोशिकाओं के मेंम्‍ब्रेंस को ज्‍यादा लचीला बनाते हैं, रक्‍तचाप को कम करते हैं, ट्राइग्लिसराइड्स को कम करते हैं और हृदय रोग से जुड़े खतरों को कम करते हैं। महत्‍वपूर्ण तथ्‍य यह है कि ये फैटी एसिड मानव शरीर के अंदर नहीं बनते। ठंडे पानी में मिलने वाली सैमेन मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है। इसके अलावा ये फैटी एसिड बादाम, अलसी का बीज, चिया (तुलसी की एक प्रजाति) का बीज, मछली के तेल में भी पर्याप्‍त मात्रा में पाया जाता है। इसी प्रकार मकई और सूरजमुखी के तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड मिलता है। साथ ही अनाज खाकर मोटे हुए जानवरों के मांस में भी ये फैटी एसिड मिलता है।

फोटो कैप्‍शन: ट्रांस फैट वाला भोजन 

(डॉक्‍टर अनूप मिश्रा की किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार)

 

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